सवाल
आचार्य भगवन् !
ओंकार धुनि को अनक्षरी कहा है
लेकिन ‘ओं’ भी हो अक्षर है
और ये नाद रूप में
वाणी खिरने के पीछे क्या राज है ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
अद्भुत एकाक्षरी शब्द है
ओम्
इस जैसा शब्द धरा, वसुधा-वसुन्धरा तो छोड़िये
नहीं कहीं पाताल
जोड़िये यहाँ तलक व्योम
पाँच-पाँच आखर
‘मिला’
कोई सार्थक एकाखर
तो ओम्-भर
है ऐसा वैसा नहीं यह,
हुआ है न्यौछावर वेवजह
यही एक अन अक्षर
जो अक्षर हो कर भी,
तत्पर अ’जि…होने अनक्षर
तभी एक सुर से
अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय सर्व साधु
सभी ने इसे
लगाया उर से
सदा-सर्वदा रखने योग याद
एक शब्द और है नाद
जो अनाद वाणी की प्रतिध्वनि लिये
जुग-जुग दिव्य-ध्वनि जिये
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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