सवाल
आचार्य भगवन् !
थर्मामीटर की हद को छूने वाला
ज्वर आया था,
तब आपने कैसे उसका सामना किया था
बैठते तो बनता ही नहीं होगा,
इस करवट के बाद और करवट
राहत वाली महसूस होती होगी
लेकिन हाय राम !
मृगमरीचिका है ना…
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
हद कहाँ छुई
108 तो दुनिया ही आगे लगाये रखती है भई
उसने तो सिर्फ 107 ही लगाया
और मेहमान था
कितने दिन ठहरता
मेह…मान
तो ज्यादा से ज्यादा चार माह
थोड़ा-बहुत दबा लेगा
थोड़ी-बहुत दवा लेगा
और दबा लेगा अपनी राह
वैसे मैं ही हल्के में ले रहा था,
वह तो स्वयं ही कह रहा था
जवर
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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