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कविता

कविता-राखी स्पेशल

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

(१)

हवालों के मुँहताज होते होगें जवाब
पर इस लाजवाब जवाब के लिए
कोई सबूत नहीं चाहिये
‘के बहिन के लिये
सबसे ज्यादा कौन ‘भाई’
आप ही बतलाईये
न किस कोन से,
यह आवाज आई
‘के मेरा भाई
सच
भाई और बहिन
एक दूसरे के लिये
आपस में कितना चाहते हैं
या तो वे खुद जानते हैं
या फिर सब कुछ जानने वाले
तारण हारे
श्री भगवन् जानते हैं

(२)

जाने
किसने कहाँ
बड़ा कच्चा होता है
धागों का बन्धन
मैं तो बस इतना जानता हूँ
पक्का ही नहीं
सच्चा भी होता है
धागों का बन्धन
ऐसा एक बहिन
और उसके अपने भाई ने कहा

(३)

दुनिया की हर एक बहिन
सुबह सुबह उठते ही
अपने दोनों हाथों को मिला करके
दुआ पढ़ने लगती है
अपने दोनों हाथों को जोड़कर के
प्रार्थना करने लगती है
‘के बस भगवन्
मेरा भाई छू जाये गगन
और भाई भी नहीं कम
शामो-सुबह
छेड़ रहा बहुत कुछ ऐसी ही
विनन्तियों की सरगम
‘के खुश रहे मेरी बहिन
बस भगवन्

(४)

तीन सौ चौषठ दिन
‘रे कम नहीं
पूरे के पूरे
दिन तीन सौ चौषठ
श्री भगवन् की चौखट
गीली करनी पड़ती है
तब जाकर के नशीब होते हैं
खुशी के आँसु
मैं सच कहूँ
तो बेजोड़ पुण्य का जोड़
रक्षा-बन्धन का दिन
‘रे भूल मत जाना भाई बहिन

(५)

बहना का दरिया से नाता है
दरिया का दिल से रिश्ता है
मतलव बहना
दरियादिल होती है
राखी तो बहाना है
राखी के बहाने
दुआ बुदबुदा
उसे अपने भाई के हाथों की
लकीरें बढ़ाना हैं
सच,
राखी तो बहाना है

(६)

सिर्फ अकेले
मैं ही कब कह रहा हूँ
खुदबखुद कह रहा है
राखी-दिन
‘के साल के
365 दिनों में से
दिन कोई राखो या न राखो
पर जरूर राखो
‘राखी दिन’
‘रे भूल न जाना भाई बहिन

(७)

कच्चे धागे
जो हर साल
लगातार बाँधे जाते हैं
तो तार से भी ज्यादा मजबूत हो जाते हैं
इसलिये राखी का दिन
‘रे भूल न जाना भाई बहिन

(८)

अरे ! भुलक्कड़ हों
भले
भूलने की भूल करने में
बढ़ चढ़ हों
पर राखी का दिन
कभी न भूलते भाई बहिन
अब यार
एक फूल है, तो दूसरा खुशबू
आगे आप खुद ही समझ जाईये ना
मैं ज्यादा और क्या कहूँ

(९)

स्वारथ भरे जो रहते हैं
सब रिश्ते एक दिन रिस चलते हैं
बस एक भाई बहिन का रिश्ता है
जो मरते दम तक
कभी भी नहीं रिसता है
रहता होगा
कभी आसमानों में फरिश्ता
‘रे आजकल तो वह
भाई और बहिन के दिल में निवसता है

(१०)

जर्रा ध्यान से सुनो
लगा के अपने दोनों कान सुनो
कुछ कह रहा है
रक्षा बन्धन
ओ ! बहिन
‘के रक्षा हमारी
बन्धन में रहने से
सच
No-1 धन है
बन्धन
‘री बहिना
बचना
कहीं सब कुछ अपना
न कर दे स्वाहा
हा ! हहा ! पश्चिमी हवा

(११)

इस
राखी पर
सिर्फ गिफ्ट न लाना
‘रे भाई
गाॅड गिफ्ट अपनी प्यारी बहिन के लिए
कभी न रुलाना
खुद की पसंद से दुनिया की चीजें
मिल सकती हैं
जो सिर्फ कीमती होती हैं
लेकिन बहिन बेशकीमती होती है
ख़ुदा की पसंद से जो हमें नसीब होती है

(१२)

भाई दीया
और बहिन बाती है
दोनों का एक दूसरे के बिना
काम बनने वाला ही नहीं है
यह बताती राखी है
सच
किससे छुपा है
किस्से-किस्से तो छपा है
‘के भाई दीया
और बहिन बाती है

(१३)

बहिन मछली है
तो भाई पानी है
बहिन तितली है
तो भाई पंख है
बहिन पतंग है
तो भाई डोर है
सच
एक के बिना दूसरे के
जीवन पर ही
प्रश्न-चिन्ह खड़ा है
मुझे किसी और से
पूछने की ज़रूरत ही नहीं है
यह दावे के साथ कहते हुये
‘के राखी का त्यौहार
सब त्यौहारों में सबसे बड़ा है

(१४)

बहिन कच्चे धागे
भाई की कलाई पर बॉंध करके
कुछ कहती सी
‘के भाई कल…आई
आयेगा थोड़ा सा धीरज रक्खो
कल आयेगा
सुनहरा कल आयेगा
अपना टाईम आयेगा
बस मंजिल की तरफ
भले
कछु…आ चाल ले
चलो
पर बढ़े चलो
थको नहीं
थमो नहीं
बस और बस मंजिल की तरफ
बढ़े चलो
भाई बड़े… चलो

(१५)

जो जो बन्धन में रहता है
उसकी रक्षा करने का संकल्प
लेना होता है
रक्षा-बंधन के दिन
सुनो
सिर्फ बहिन की ही नहीं
पर्यावरण की भी रक्षा
करनी है हमें
गायें भी मर्यादा में रहतीं हैं
बड़े बुजुर्ग भी लक्ष्मण रेखा
नहीं उलॉंघते हैं
उनकी रक्षा का भी
बीड़ा उठाना चाहिए हमें
आयें
सार्थक रक्षा-बंधन पर्व मनायें

(१६)

इस रक्षा-बन्धन पर्व पे
अपने भाई के माथे पे
देना
चन्दन कुमकुम, का टीका देना
और उसके मुख में मीठा भी देना
पर साथ साथ
एक नियम यह अनूठा भी देना
‘के सिगरेट सी’ ग्रेड लाती है
ड्रिंक डी रैंक से मिलाती है
इन्हें हाथों से दूर
आंखों से भी छूना मत
आज राखी के इस पावन दिन
मेरे सिर पर अपना हाथ रखकर के
यह उठाओ शपथ

(१७)

रंगों का त्यौहार
आने से पहले ही
मीडिया, अखबार कहने लगते हैं
अटेनशन
चेहरे पर रंगों का रियेक्सन

दीपों का त्यौहार
आने से पहले ही
मीडिया, अखबार कहने लगते हैं
अटेनशन
आँखों पर पटाखों का रियेक्सन

किन्तु परन्तु
सभी ने एक सुर से सराही
सार्थक नाम दे करके
राखी
मतलब
हिफाजत से रखना
ओ ! भाई बहिना
अपने दिल के करीब रखना
राखी का त्यौहार
अपने पूर्वजों के द्वारा दिया
अनमोल उपहार

(१८)

राखी पर
बहिन के द्वारा
भेंट में दिया हुआ श्री फल
किसी भी भाई ने
खा करके न उड़ाया होगा
हाँ… हाँ…
चढ़ाया होगा
श्री भगवन् के चरणों में

पानी लेकर के
अपने दोनों नयनों में
‘के भगवान्
जिसने यह श्रीफल दिया है
उसका जीवन
दीया के जैसे जगमगा उठे
और रोशन कर दे दुनिया सारी
राखी के त्योहरीर पर तो मैं
जाऊँ बलिहारी

(१९)

माथे पर तिलक देना तो बहाना है
बहिन
राखी के दिन
भाई के माथे के बीचोंबीच
सुसुप्त जो आज्ञा चक्र अजीज
उसे हल्का सा छूकर
करके कुछ जादू-मन्तर
जगाती है

तभी तो
उस समय लिये गये फोटो में
भाई के चेहरे पर
मुस्कान कुछ अलग ही
रंग लिये आती है

सच
राखी भाई बहिन के लिए
एक अपूर्व धरोहर है
एक अनूठी थाती है

(२०)

भाई और बहिन
सोते होंगे 363 दिन
और मिथ्या मत जो हैं 363
इसलिये
अच्छा है वह चार सोते ही रहे
किन्तु, परन्तु
वह रात जो राखी के पहले आई है
गिफ्ट पैक करते-करते
निकल जाती होगी

चूँकि भाई का संसार
उसकी प्यारी बहिन है
और बहिन का संसार
उसका प्यारा भाई

इसलिये सारा संसार ही
पैक करने में जो लगे हैं
दोनों भाई और बहिन

वह रात जो राखी के बाद आई है
उसमें एक दूसरे के द्वारा
दिये गये उपहारों को
खोलने में जो लगे है
दोनों भाई और बहिन

सच
सार्थक शब्द है उपकार
महलब नौ लड़ियों का
और उन लड़ियों में मणियाँ कितनी ?
तो भाई बहिन जानें
या फिर साईं राम जानें

(२१)

अपने रूठे हुए भाई को मनाना
बहिन खूब ही नहीं
बखूबी जानती है
और भाई भी खूब ही नहीं
अपनी रूठी हुई बहिन को मनाना

फिर भी यदि
शैतान की शैतानी से
रूठे रहें दोनों एक दूसरे से
तो आकर यह राखी
खुशी के आँसुओं से भर देती है आंखें
आ बनती कोशिश
दिन राखी का राखें

(२२)

बहिन अपने प्यारे भाई के
सर पे सफेद रंग का रुमाल उढ़ाती है
‘के हंस के जैसा
दूध पानी के लिए
अलग-अलग करने का विवेक
आ चले
‘के मन का स्याहीपन गले
‘के वो हिमानी हिमालय से भी
ऊँचा सर उठ चले भाई का मेरे
‘के दूर हो चालें अंधेरे
‘के मेरा भाई जमीन पर खड़े खड़े ही
छू ले आसमां
ऐसे ले अपने दिल में अरमां
भाई को चन्दन की चौकी पर बिठाती है
बहिन अपने प्यारे भाई के
सर पे सफेद रंग का रुमाल उढ़ाती है

(२३)

सभी प्यार करते हैं
राखी से
कोई भी नफरत नहीं करता है
चूँकि बहिन का दिल
भाई की फोटो से भरा है
और भाई का दिल
बहिन की फोटो से भरा है
अब दिलों में नफरत के लिये
कोई जगह ही नहीं है
सच
राखी
चहक पाखी
चहक पाखी से
सभी प्यार करते हैं
राखी से
कोई भी नफरत नहीं करता है

(२४)

भाई बहिन का
कुछ ज्यादा ही गहरा प्यार
364 दिन
भाई बहिन जो करते इंतजार
राखी का
सच चित चोर है राखी
दिल चुराकर के जो रख लेती है
बड़ी मीठी ही नहीं
अनूटी भी है राखी
मंजिल बुलाकर के जो
रुक रुक कहती है

(२५)

इस उस दुनिया को अंदर
सबसे सुन्दर
अपनी प्यारी बहिन के
हाथों की खुश्बू को छूते हुये
दो कच्चे धागे जितने कीमती हैं
एक भाई के लिये
उतने रंग बिरंगे
ऊँची ऊँची कीमत वाले
रेशमी धागे कहाँ
जिनसे मतलबी व्यापार की
बू आती है

(२६)

बड़ा मीठा है अमृत
अमृत से मीठा कुछ भी नहीं है

सुनो, देवताओं
ये सिर्फ खुशफहमी है तुम्हारी
उस जहां से ऊब
कभी इस खूब जहां में भी कदम रक्खो
और
किसी बहिन के हाथों की
बेमतलबी खुशबू को छूते हुये
मीठे के एक पीस को चक्खो
पीस मतलब एक अनूठी शान्ति का
अहसास होगा तुम्हें
हो तुम्हें मुबारक वो अमृत
अपनी प्यारी बहिन के
दो मीठे बोल ही अमृत हमें

(२७)
राखी मतलब
No झगड़ा
No झिक-झिक
No नफरत
No अनबन
No गुस्सा

(२८)
राखी मतलब
बेशुमार खुशी
खुशी के आँसू
चेहरे पे सुर्खी
गद-गद बोल
खुल के मुस्कान

(२९)
राखी मतलब
No नोंक-झोंक
No रोक-टोक
No ताँक-झाँक
No लाल-आँख
No गंदा मजाक

(३०)
राखी मतलब
No तू तू मैं मैं
No ताँका-झाँकी
No हेरा-फेरी
No फेका-फेकी
No बोली तीखी

(३१)
राखी मतलब
निखालस प्रेम
बेमतलब प्यार
सच्चा वात्सल्य
निस्वार्थ स्नेह
सहजो प्रीति

(३२)
राखी मतलब
मोर पंख
तिलली रंग
खिला गुलाब
ओस बूँद
इन्द्र धनुष

(३३)
राखी मतलब
बहता झरना
उगता सूरज
पूनम चन्दा
काले बदरा
नीला आसमाँ

(३४)
राखी मतलब
मन मन्दिर
दिल दरिया
आँख शरम
नाक न बोझ
मिसरी बोल

(३५)
राखी मतलब
उत्सव
झुक झूम
ढ़ोल धमाल
उड़ी गुलाल
सुर-ताल

(३६)
राखी मतलब
झमा-झम
छमा-छम
गुमा गम
गुमां गुम
नैना नम

(३७)
राखी मतलब
छाँव दरख्त
बरखा फुहार
बसंत बहार
गुनगुनी धूप
मरुथल कूप

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